
कई बार स्टूडेन्ट्स के मन में एक बात आती है कि स्कूल/कॉलेज में विज्ञान की किताबे पढ़ाई तो जाती हैं पर हमारे जीवन में इनका क्या उपयोग है और ऐसे ऐसे प्रश्न मन में आते हैं की टीचर के तो सुनकर ही होश उड़ जाते हैं | टीचर महोदय से पूछने पर कुछ भाग्यवान स्टूडेन्ट्स तो जानकारी पा जाते हैं पर ज्यादातर को ये कहकर उनकी बात को टाल दिया जाता है कि कल बताएंगे ,परसों बताएंगे , तुम्हारे समझ में नहीं आएगा या फिर ये कह दिया जाएगा ये तुम्हारे कोर्स में नहीं है तो स्टूडेंट सोचता है कि शायद अगली क्लास में बताया जाए लेकिन सच बात तो यह है कि स्टूडेंट , हाईस्कूल इंटर ग्रेजुएशन पोस्ट -ग्रेजुएशन यहाँ तक कि जॉब तक करने लग जाता है । उसके अंदर का जिज्ञासु मर जाता है पर वो उन प्रश्नो का उत्तर जान नहीं पाता ।
अब आप ही बताइये ऐसा क्यों है ??????????
इसके कई कारण है जैसे कि टीचर को आता है पर वे बताने में रूचि नहीं लेते या ऐसा भी होता है की टीचर को स्वयं ही नहीं आता है क्योंकि हमारे देश की हालत कुछ ऐसी है कि हर कोई सरकारी नौकरी पाने की जुगत में रहता है । चाहे नौकरी कैसे भी हो ......अपनी मेहनत से या रिश्वत देकर बस मिल जाए । एक बार सरकारी नौकरी मिल जाने के बाद वो बस आराम फरमाने, पैसे कमाने की और सिर्फ और सिर्फ अपने और अपने परिवार के बारे में सोचता है, हाँ थोडा बहुत कार्य बस औपचारिकता पूरी करने के लिए करता है ।इसीलिए हमारे यहाँ अधिकांश सरकारी डिपार्टमैंट भ्रष्ट हैं जिसमें एक डिपार्टमेंट शिक्षकों का भी है यहाँ मैं शिक्षकों की बुराई नहीं कर रहा बल्कि सच्चाई बता रहा हूँ । अगर आप एक शिक्षक हैं और अपने वास्तविक कार्य को बखूबी कर रहे हैं तो मैं आपको कोटि कोटि प्रणाम करता हूँ और अगर आपको ये बातें बुरी लग रही हैं तो इसमें कोई संदेह नहीं कि आप भी एक भ्रष्ट शिक्षक हैं । हमारा उत्तर प्रदेश इस प्रकार के शिक्षकों का बहुत अच्छा उदाहरण है ।
हमारे यहाँ एक बहुत ही लाजबाब प्रक्रिया भी है जिससे हमारे देश का सत्यानाश होना तय है ...... वो ये है कि हमारे यहाँ बहुत से कॉलेज ऐसे हैं कि विद्यार्थी हाईस्कूल, इण्टर, ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन,........ .आदि सभी रुपए देकर नकल करके कर अच्छे % के साथ Pass सकता है और सब कुछ करने के बाद रिश्वत देकर..... सरकारी नौकरी पक्की......। काबिल-ए-तारीफ़.................. ( सुधर जाओ अभी भी वक़्त है )
अब हम शिक्षकों को तो शिक्षा दे नहीं सकते क्योंकि रुपया है ही ऐसी चीज कि बडे बडे ईमानदार भी इसके सामने घुटने टेक देते हैं । लेकिन वे जो शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं , अभी स्कूल कॉलिजेज़ में पढ रहे हैं जिनका भविष्य ये भ्रष्ट शिक्षक बर्बाद कर रहे हैं वे आगे चलकर इसी तरह के न बनें अपने कर्तव्य और जिम्मेदारी के प्रति निष्ठावान रहें बस उन्हीं को एक नई दिशा देने का एक प्रयास हमने किया है ।
विद्यार्थियों को हमारा ये सन्देश है कि -
1. जो भी पढें उसमें अपनी पूरी श्रद्धा से पढें,
2. पिछडे न रहें, नई तकनीक और विज्ञान सीखने उसे व्यवहारिक जीवन में लागू करने में सदैव प्रयासरत रहें, 3. अन्धविश्वासों से दूरी बनाए रखें,
4. अपने हित से पहले ये सोचें कि आपके हित से दूसरे का अहित न हो |
हमारी वेबसाइट Science Sector को निरंतर विज़िट करते रहें और हमारा उत्साह बढाते रहें सदैव सीखते रहें
साइंस सीखते रहें और सिखाते रहें !
इसके कई कारण है जैसे कि टीचर को आता है पर वे बताने में रूचि नहीं लेते या ऐसा भी होता है की टीचर को स्वयं ही नहीं आता है क्योंकि हमारे देश की हालत कुछ ऐसी है कि हर कोई सरकारी नौकरी पाने की जुगत में रहता है । चाहे नौकरी कैसे भी हो ......अपनी मेहनत से या रिश्वत देकर बस मिल जाए । एक बार सरकारी नौकरी मिल जाने के बाद वो बस आराम फरमाने, पैसे कमाने की और सिर्फ और सिर्फ अपने और अपने परिवार के बारे में सोचता है, हाँ थोडा बहुत कार्य बस औपचारिकता पूरी करने के लिए करता है ।इसीलिए हमारे यहाँ अधिकांश सरकारी डिपार्टमैंट भ्रष्ट हैं जिसमें एक डिपार्टमेंट शिक्षकों का भी है यहाँ मैं शिक्षकों की बुराई नहीं कर रहा बल्कि सच्चाई बता रहा हूँ । अगर आप एक शिक्षक हैं और अपने वास्तविक कार्य को बखूबी कर रहे हैं तो मैं आपको कोटि कोटि प्रणाम करता हूँ और अगर आपको ये बातें बुरी लग रही हैं तो इसमें कोई संदेह नहीं कि आप भी एक भ्रष्ट शिक्षक हैं । हमारा उत्तर प्रदेश इस प्रकार के शिक्षकों का बहुत अच्छा उदाहरण है ।
हमारे यहाँ एक बहुत ही लाजबाब प्रक्रिया भी है जिससे हमारे देश का सत्यानाश होना तय है ...... वो ये है कि हमारे यहाँ बहुत से कॉलेज ऐसे हैं कि विद्यार्थी हाईस्कूल, इण्टर, ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन,........ .आदि सभी रुपए देकर नकल करके कर अच्छे % के साथ Pass सकता है और सब कुछ करने के बाद रिश्वत देकर..... सरकारी नौकरी पक्की......। काबिल-ए-तारीफ़.................. ( सुधर जाओ अभी भी वक़्त है )
अब हम शिक्षकों को तो शिक्षा दे नहीं सकते क्योंकि रुपया है ही ऐसी चीज कि बडे बडे ईमानदार भी इसके सामने घुटने टेक देते हैं । लेकिन वे जो शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं , अभी स्कूल कॉलिजेज़ में पढ रहे हैं जिनका भविष्य ये भ्रष्ट शिक्षक बर्बाद कर रहे हैं वे आगे चलकर इसी तरह के न बनें अपने कर्तव्य और जिम्मेदारी के प्रति निष्ठावान रहें बस उन्हीं को एक नई दिशा देने का एक प्रयास हमने किया है ।
विद्यार्थियों को हमारा ये सन्देश है कि -
1. जो भी पढें उसमें अपनी पूरी श्रद्धा से पढें,
2. पिछडे न रहें, नई तकनीक और विज्ञान सीखने उसे व्यवहारिक जीवन में लागू करने में सदैव प्रयासरत रहें, 3. अन्धविश्वासों से दूरी बनाए रखें,
4. अपने हित से पहले ये सोचें कि आपके हित से दूसरे का अहित न हो |
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ढेर सारी शुभ भावनाओं के साथ आपका अपना - योगेश